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कैसे तुझे बचाऊँ किस आँचल तले छुपाऊँ

कैसे तुझे बचाऊँ किस आँचल तले छुपाऊँ

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शब्द नहीं हैं पास मेरे
कैसे तुझे बताऊँ
उम्र नहीं है तेरी बिटिया
ऊँच-नीच समझाऊँ
आना-जाना,गली मोहल्ला
क्या सब ही तेरा छुड़ाऊँ
कैसे तुझे ....
किस आँचल .........
माँ का दिल डरता है अब तो
सुन ख़बरें बदकारी की
कोमल कमसिन तू क्या जाने
नज़रें इन मक्कारों की
नज़र न लग जाऐ तुझे किसी की
किस कोठर तले छुपाऊँ
कैसे तुझे ........
किस आँचल .......
गली मोहल्ले गाँव की बिटिया
सब की साँझी होती थीं
साँझ ढले जब बैठ इकट्ठे
सुख-दुःख सभी पिरोती थीं
 किस पर करूँ भरोसा अब तो
समझ नहीं मैं पाऊँ
कैसे तुझे ......
किस आँचल ........
कठिन राह है जीवन की बिटिया 
पग में काँटे ही काँटे
चुनने होंगे हिम्मत से तुझ को
जो कुदरत ने हम को बाँटे
तेरे कोमल पाँव नीचे
पलकें आप बिछाऊँ
कैसे तुझे बचाऊँ
किस आँचल तले छुपाऊँ |


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