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Dr. Natasha Kushwaha

Others

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Dr. Natasha Kushwaha

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मर्यादा

मर्यादा

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राम जाने क्यों जीव ही जीव की मर्यादा खोती है

घणी मर्यादा की रेखा नारी की ही होती है


भूल गए क्यों नारी सौ सिंहो पे भारी होती है

दुर्गा जगतजननी की सवारी सिंह ही होती है


शमशान के नृप शिव पे सती बलिहारी होती है

शिमांकन युक्त जीवन ही मर्यादा होती है


मर्याद पुरुषोत्तम श्रीराम आए सुनी सुनाई बात

सीता छवि ज्वलित अग्नि में रखी राम की लाज


जनता की खातिर, बाल्मिकी आश्रम निवास

सिया राम चंद्र जी पूर्णतः मर्यादित विस्वास।



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