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Dr.Sangeeta Sharma

Others

4.5  

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महकते फूल और नुकीले कांटे

महकते फूल और नुकीले कांटे

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फूलों ने कांटों से पूछा

तू क्यों इतना कठोर

नुकीला है

किसी को भी चुभता

तू तो बड़ा हठीला है।


कांटों ने फूलों से कहा

तू तो बड़ा कोमल है

फिर भी लोग मुझे नहीं

तुझे ही नोचते है।


और फिर सूखने पर तुम्हें

अपने पैरों तले रौंदते है

तू क्यूँ नहीं कठोर बन

जाता है।


फूल ने कहा भले ही मैं

तोड़ा जाता हूं

बहुत जल्दी मुरझा भी

जाता हूं पर

लोग मुझे देखकर खुश होते हैं

मेरी खुशबू से अपनी सांसों

को महकाते हैं।


मेरी कोमलता को छूकर

अपने ग़म को भूल जाते हैं

प्रफुल्लित होकर जीने की भी

प्रेरणा मुझसे ही तो लेते हैं।


मैं तो यही कहता हूं तुमसे

भले ही मैं जल्दी फ़ना होता हूं

लेकिन जब तक जीता हूं सबकी

सांसों में महकता रहता हूं।


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