मेरे मां बाबा
मेरे मां बाबा
1 min
117
मैं जब भी महफ़िल में जाती हूं
सबको यही समझती हूं
मैं कोई पंछी नहीं जो
हर वक़्त पिंजरे में कैद कर दी जाती हूं
मुझे ठोकर लग जाती है
मेरी मां पत्थरो को हटाती है
मेरी हर सपने को
मेरी मां अपने आंचल में रख के सजाती है
मुझे हंसता देख
मां आज भी मुस्कुराती है ।
पापा कहते है ,
कली है खिल जाने दो
घर आंगन को खुशियों से महकाने दो
तितली ही तो है हमारी
खुले आसमान में उड़ जाने दो
नन्हे नन्हे कदम है
गिर कर सम्भल जाने दो
अपने नन्हे हाथों से
अपनी प्यारी दुनिया सजाने दो
कली है खिल जाने दो
तितली है आसमान में उड़ जाने दो ।