मेरे गणु पापा
मेरे गणु पापा
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किस नाम से पुकारूँ तुम्हें, लोग तुम्हें किस किस नाम से बुलाते हैं
पर मेरे लिए तुम मेरे गणु पापा हो। ।।
दुनिया तो तुम्हारे है, पर खुशी मेरी तुम्हें है ।
पापा तुम सबके पर, गणू पापा सिर्फ़ मेरी हो ।
पता नहीं है क्यों पर, अच्छा लगते हो तुम मुझे
सोचती हूं जब मन मैं, आस पास पाती हूं तुझे ।
दुख मैं याद आते हो तुम,
तुम्हारे नाम से मुस्कान आती है मिट जाते है गम ।।
पता नहीं कैसा ये लगाव है,
हर पल तेरा ही ख्याल आता है ।।
पता नहीं ये तेरी मोहब्बत है ,
या मेरी परिकल्पना ।।
पर जो भी है मेरे लिए मेरे गणु पापा है....
