मेरा परिवार।
मेरा परिवार।
ये तेरा घर ये मेरा घर, किसी को देखना हो गर,
तो पहले आ के मांग ले, मेरी नज़र तेरी नज़र।
मेरे परिवार को लगे न किसी की बुरी नजर।
मेरा परिवार मतलब आह,
मेरा परिवार मतलब वाह।
हम सब की बनती बिगड़ती
रहती खट्टी मीठी बातें,
सुख और दुःख में भी आसानी से
कटती रातें।
भव्यता की नींव पर बनी है हमारे
परिवार की इमारत,
मेरा परिवार ही है मेरी इबादत।
घर का नाम रखा है आरव,
इसमें सब की
आवाज़ का गुंजता
है कलरव।
परिवार का हर एक सदस्य
हमारे अस्तित्व की साक्षी देता,
अकेलेपन को कभी भी हम पे न हावी होने देता ।
परिवार के बगीचे में छोटी-छोटी क्यारियाँ,
सुनाई देती है
उसमें हम सब की किलकारियां ।
सुख दुःख, धूप छाँव,
हँसना रोना, रूठना और मनाना यहीं से सीखा है ,
असंभव शब्द के प्रयोग की यह घर लक्ष्मण रेखा है।
परिवार और मैं, हम दोनों एक दूसरे के पर्याय,
इसलिए मुझे उसी के बगैर कहीं भी नहीं भाय।
मैं और मेरा परिवार साथ साथ में होंगे वृद्ध,
शांति का अटूट
भंडार मेरा परिवार
जैसे की बुद्ध।
मकान का निर्माण
करतें है बांधने वाले,
मकान को घर बनाते हैं रहने वाले ।
हरा-भरा घर उसमें हम रहेंगे आनंद सभर ,
जीएंगे जब तक रहेंगे
उसमें मन भर।
मेरा परिवार मेरे दिल का आईना,
आनेवाले से
प्यार से रहेगा
मिलना-जुलना।
मेरा परिवार यानी
की आह।
मेरा परिवार यानी
की वाह।