मधु मख्खी
मधु मख्खी
मधुमक्खी का नाम सुनूँ तो,आता मुझे बुखार।
एक बार मैंने छत्ते पर,
मार दिया पत्थर ।
फिर तो उनका बहुत बड़ा दल,
टूट पड़ा मुझ पर ।
उन सबने फिर काट-काट कर,किया मुझे बीमार।
मधुमक्खी का नाम सुनूँ तो,आता मुझे बुखार।।
सूज गया सारा तन मेरा,
सूज गया मुखड़ा ।
किससे मैं किस भाँति बताऊँ,
अपना वह दुखड़ा ।
अस्पताल में लगवाया था,इंजेक्शन कुल चार।
मधुमक्खी का नाम सुनूँ तो,आता मुझे बुखार।।
तब से मधुमक्खी देखूँ तो,
काँप उठे तन-मन।
यही मनाता,पास न आए,
हे मेरे भगवन !
बच्चो! इन्हें छेड़ना ना तुम,कहता बारंबार।
मधुमक्खी का नाम सुनूँ तो,आता मुझे बुखार।।