मैं ज़वाब मांगता हूं
मैं ज़वाब मांगता हूं
कुछ अनसुलझे सवालों के जवाब मांगता हूं...
मैं इंसान हूं इंसानियत का हिसाब मांगता हूं...
क्यों बेटियां महफूज नहीं अपने ही वतन में,
क्यों गिद्धों की नज़र है चिड़ियों के बदन पे,
क्यों कुछ कलियां बेरंग हो गई मेरे चमन में,
हां मैं नन्ही निर्भया के टूटे ख़्वाब मांगता हूं...
कुछ अनसुलझे सवालों के ज़वाब मांगता हूं...
मैं इंसान हूं इंसानियत का हिसाब मांगता हूं...
क्यों गूंजते हैं धमाके सरहद पर बारूद के,
क्यों जवान लौटते हैं लकड़ी के संदूक में,
क्यों सफेद गुलाब नहीं निकलते बंदूक से,
शहीद की मां का पहले सा ताब़ मांगता हूं...
कुछ अनसुलझे सवालों के ज़वाब मांगता हूं...
मैं इंसान हूं इंसानियत का हिसाब मांगता हूं...
किसकी श़ह पे होता है नशों का कारोबार,
नशे में गिरफ्त युवा कर्णधार है बेरोजगार,
क्यों नशे से हुई मौतों से भरी है अख़बार,
'अनीश' तरस्करों के लिए अज़ाब मांगता हूं...
कुछ अनसुलझे सवालों के ज़वाब मांगता हूं...
मैं इंसान हूं इंसानियत का हिसाब मांगता हूं...