माता का बुलावा
माता का बुलावा
माँ जिसे बुलाती जाता तेरे दरबार,
माँ कि ज्योति जली है, जग में है उजियार, बोलो जय मात दी ।।
बोले जाओ कदम कदम से बढ़ते जाओ, माता ने बुलाया है चलते जाओ,
मिल जाएगा माँ वैष्णव देवी का द्वार, माँ वैष्णव देवी का आशीर्वाद माँ की ममता का दुलार !!
तू घट घट बसी, घट घट में तेरा रूप, तू अम्बे जगदम्बे तेरे चरणों में संसार,
शिव ,ब्रह्मा, विष्णु माँ की स्तुति गावे भाग्य पे इतरावे माँ शेर पे सवार ।।
जग हुआ निहाल, जग करता दर्शन माँ का अद्भुत श्रृंगार,
माँ के हाथों शंख, चक्र, गदा ,पद्म त्रिशूल ,तलवार देवो का अश्त्र शत्र शास्त्र जग करता दर्शन माँ का अद्भुत श्रृंगार !!
माँ का रूप देख सूरज चाँद लजाएँ देवन, करे बखान का जग करता दर्शन माँ अद्भुत श्रृंगार,
माँ की चुनरी लाल, माथे मुकुट सोहे रतन जड़े हज़ार जग करता दर्शन माँ का अद्भुत श्रृंगार !!
माँ पैरों की पैजानिया, जग आँगन में लक्ष्मी का व्यवहार,
जग करता दर्शन माँ का अद्भुत श्रृंगार !!
माँ गले बैजंती माला नाक में नथिया कान की बाली,
जग जननी का अद्भुत विग्रह बहार जग करता दर्शन माँ का अद्भुत श्रृंगार !!
