मां
मां
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मां रोज मांजती
चिकनी राख और पानी से शाम को
शीशा लालटेन का
रात भर जलती लालटेन
सुबह उठते सोकर
देखें की जम गई है कालिख
लालटेन के शीशे में
ना मां रुकी कभी
ना कालिख़ ही थमी कभी!
