माँ मेरी तंग हाल सी
माँ मेरी तंग हाल सी
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माँ मेरी तंग हाल सी
बदन में लपेटे पुराने चिथड़े,
नंगे पैर फटी एड़ियाँ
गहरे हो चले उनमें दरारें,
कभी कभी देखा है मैंने
यूं दरारों से है लहू टपकते,
ना दवाएँ ना मरहम कुछ
धूल से है फटे दरारों को मूंदते।
