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Kritika gupta

Others

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Kritika gupta

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इक माँ का इंतज़ार

इक माँ का इंतज़ार

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यूँ जी कर जाना, जब मैंने

तन्हापन तेरे जीवन का

खालीपन भरने आ गया

गागर फिर इक खाली मन का ।


मैं इक उपहार सी तुम्हें मिली

तुम इक फुहार सी मेरी हो

मैं चलते चलते भूल गई

तुम राह तक रही मेरी हो ।


तुम जङ बनकर सब बाँध रही

मैं खिलती फूल-पात सी हूँ

मत बोलो माँ, मैं दूर गई

जो कुछ भी हूँ, बस तुमसे हूँ ।


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