इक माँ का इंतज़ार
इक माँ का इंतज़ार
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यूँ जी कर जाना, जब मैंने
तन्हापन तेरे जीवन का
खालीपन भरने आ गया
गागर फिर इक खाली मन का ।
मैं इक उपहार सी तुम्हें मिली
तुम इक फुहार सी मेरी हो
मैं चलते चलते भूल गई
तुम राह तक रही मेरी हो ।
तुम जङ बनकर सब बाँध रही
मैं खिलती फूल-पात सी हूँ
मत बोलो माँ, मैं दूर गई
जो कुछ भी हूँ, बस तुमसे हूँ ।
