मालिक
मालिक
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जो पढ़े लिखे मनुष्य हैं,
जिनको सोचने की बुद्धि है
उनके मन में ये प्रश्न कहां,
मालिक है या नहीं?
वो तो सोचते भी नहीं हैं
ये रंग बिरंगे फूल ,पेड़ पौधे ,
हरियाली और पक्षी कैसे उड़ते हैं?
मछलियाँ क्यों पानी मे ही जी सकती हैं?
ये सब कुछ कैसे आए थे?
मालिक ने कितना मेहनत किया है,
कितने रंग,रूप के कीडे़, मकोडे़ और इससे बढ़कर इन्सान तक जन्म दिया,
और मनुष्य को सोचने को दिमाग दिया है,
लेकित मनुष्य कहां सोचता ,मालिक है या नहीं?
उसका अस्तित्व तो कण कण में है,
सबका मालिक एक है।