संविधान में आग लगा दो यहाँ निर्भया रोती है लुप्त दामिनी लोकतंत्र के दूषित... संविधान में आग लगा दो यहाँ निर्भया रोती है लुप्त दामि...
ये एक गजल है , जन और तंत्र के बीच का अंतर्द्वंद्व दिखाती . ये एक गजल है , जन और तंत्र के बीच का अंतर्द्वंद्व दिखाती .