संविधान में आग लगा दो यहाँ निर्भया रोती है लुप्त दामिनी लोकतंत्र के दूषित... संविधान में आग लगा दो यहाँ निर्भया रोती है लुप्त दामि...
जब एक लड़की कुछ कहती है तब भी गलत, नहीं कहती फिर भी गलत| इस पर ये कविता व्यंग्य है समाज पर .... जब एक लड़की कुछ कहती है तब भी गलत, नहीं कहती फिर भी गलत| इस पर ये कविता व्यंग्य ह...