जब रातों को कुछ दरिंदे सरे आम हो जाते हैं.. जब रातों को कुछ दरिंदे सरे आम हो जाते हैं..
समाज के इन घरों को आखिर क्यूँ बाँँटते हो क्यूँ बाँटते हो। समाज के इन घरों को आखिर क्यूँ बाँँटते हो क्यूँ बाँटते हो।