देखती है आवाजों के साथ मुस्कराता शहर का असली आईना कविता न उठाती है हथियार न लहराती है परचम वह ध... देखती है आवाजों के साथ मुस्कराता शहर का असली आईना कविता न उठाती है हथियार न ...
ये कैसा वक्त आया है जो घरों में क़ैद है सारी दुनिया जरूरी है दो ग़ज की दूरी! ये कैसा वक्त आया है जो घरों में क़ैद है सारी दुनिया जरूरी है दो ग़ज की दूरी!