क्यों है ऐसा
क्यों है ऐसा
बातें बड़ी बड़ी पर ये बचपना क्यों है
कैसे ध्यान करूं मै पभु का ये मन चंचल सा क्यों है
करना चाहूँ कुछ और पर हो जाता कुछ और क्यों है
अंदर ही अंदर घुटन है पर मुस्कुराना क्यों है
जिंदगी मेरी पर गुलामी किसी और का क्यों है
जब कोई अपना नहीं तो ये रिश्ते नाते क्यों हैं
आज कपड़ो की कमी नहीं फिर भी लोग निर्वस्त्र क्यों हैं
जब कुछ लेके जाना नहीं तो कामना क्यों है
सपने हकीकत नहीं होते तो आते क्यों हैं
रिश्ता टूटने के बाद भी आते क्यों है
अच्छा कर्म ही सबकुछ है तो लोग बुरा करते क्यों हैं
जब प्रभु दिखाई नहीं देते तो भरोसा क्यों है
अगर अंत में मौत है तो जन्म क्यों है?
