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Bhushan Deshmukh

Others

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Bhushan Deshmukh

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कुछ चार पंक्तियाँ

कुछ चार पंक्तियाँ

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कुछ चार पंक्तियाँ लीखना चाहता हूं,

एक खुशी की लीख दूंगा,

एक गम की लीख दूंगा,

एक किसी आस की लीख दूंगा |


समझदारी है थोडी सी,

थोडी सी बेवकूफी चाहता हूं,

कभी जद्दी था नहीं,

पर थोडासा होना चाहता हूं |


किसी दिन टूटा हू, बीखरा भी हू,

और खुद से संभला भी हू,

हिम्मत रत्ती भर नहीं मुझे मे,

पर थोडी सी बाटना चाहता हूं |


इतनी बूरी नहीं मेरी ये जींदगी,

पर इतनी बेहतरीन भी कहा,

थोडी और बेहतर की कोशीश है,

या एक कोशीश की उम्मीद रखना चाहता हूं |


कुछ चार पंक्तियाँ लीखना चाहता हूं,

एक खुशी की लीख दूंगा,

एक गम की लीख दूंगा,

एक किसी आस की लीख दूंगा ||


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