कोरोना काल में मृत्युभोज
कोरोना काल में मृत्युभोज
कोरोना काल में मृत्युभोज का आयोजन
मृत्युभोज का आयोजन
कोरोना काल में करना,
आने वाले सामाजिक
अगन्तु के लिए बन जाय आह,
समाज में और रिश्तों में मिले
वाह-वाही इसे करो नजरअंदाज चाह,
समाज में निभाने को ओर भी है दस्तूर बहुत,
रिश्तेदारों और समाज को
सही-सलामत रखे ऐसे मौके भी है बहुत,
इस कोरोना के बढ़ते कहर में
भीड़ का हिस्सा मत बनाओं,
न जाने कितने बड़े-बूढ़े
और भयंकर बीमारी ग्रसीत लोग आयेंगें,
न जाने कितने और कहां-कहां के
इस काल के शिकार होंगे,
सब देख रहे हो अपने आसपास
कोरोना ने कितना कहर ढाया है,
जगह कम पड़ रही है अस्पतालों में
न दवाई-गोली ना ही इलाज है,
श्मशानों में भी जगह नहीं
शव जलाने की कतार बहुत लगी है,
जो अपना कहलाने वाला ही
लाश उठाने को नहीं आया है,
इसलिए......,
मृत्यु-भोज के आयोजन चक्कर में
कइयों को मौत की सेज सजा मत जाना,
करो भी आयोजन तो सीधा और सादा हो,
चंद करीबी रिश्तेदारों के अलावा और कोई ना आया हो,
दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी रखकर ध्यान,
ले हाथों में सैनिटाइजर और
सोसियल डिस्टेंसिंग की करो पालना,
तब आयोजन का हो आयोजन
वो भी हो आयोजन खुली जगह पर लो यह जान !