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Vijaylaxmi Vijaylaxmi

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Vijaylaxmi Vijaylaxmi

कॉलेज के तीन साल

कॉलेज के तीन साल

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प्रथम वर्ष में नए नए कॉलेज में आये थे,

बड़ी मुश्किल से क्लास और सेक्शन ढूंढ पाए थे,

पूरे दिन क्लास में बैठ के लेक्चर लगाए थे,

और हर लेक्चर में अटेंडेंस होगी ये नई बात जान पाए थे.


एक हफ्ते तक क्लास का हर चेहरा अनजान लग रहा था,

पहले दिन जिससे बात की दूसरे दिन वो नहीं मिल रहा था,

लड़के तो क्या हम तो लड़कियों से भी बात करने में कतराये थे,

और फिर जाकर अपने जैसे कुछ दोस्त बनाये थे


कॉलेज में बहुत बड़े- बड़े सपने देखने लगे थे,

पर पता नहीं क्यों दोस्तों के साथ हर टेंशन भूलने लगे थे,

हम हर लेक्चर लगाने वाले भी बंक मारना सीखने लगे थे,

पार्क में दोस्तों संग बैठना भी सीखने लगे थे


द्वितीय वर्ष में आते -आते हम भी अध्यापक की नज़रों से

बच कर शैतानी करने लगे थे,

हर लेक्चर मे पानी पीना तो अपना धर्म ही समझने लगे थे,

अध्यापक के छोटे से मज़ाक पर ज़ोर -ज़ोर से हँसने लगे थे,

अपने दोस्तों की उपस्थिति लगवाने में तो माहिर हो चुके थे,


तिर्तीय वर्ष आते- आते तो हम अटेंडेंस का डर ही भूल चुके है,

हर कोई अपने लक्ष्य को पाने के लिए मेहनत करने लगा है,

अपने भविष्य के बारे मे सब सोचने लगे है,

पर इतने व्यस्त होने के बाद दोस्तों के साथ

हँसने बोलने का समय निकाल ही लेते है,

दोस्तों के साथ हँसने का समय निकल ही लेते है....


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