खुली आंखों से ख्वाब देखे
खुली आंखों से ख्वाब देखे
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खुली आंखों से हमने ख्वाब हजार देखे
कुछ अपनों के चहेरे पे नकाब देखे ।
कुछ हंसते चहेरे आज क्यों उदास देखे ?
खिलते उजड़ते कितने लोग बेताब देखे ।
दिन के उजाले में ढलते आफताब देखे ।
खुली आंखों से हमने ख्वाब हजार देखे ।
