मेरे वीर बलिदानी का सपनों का वो गाँव कहाँ है I मेरे वीर बलिदानी का सपनों का वो गाँव कहाँ है I
कभी इस घर में भी हुआ करती थी उजालों भरी सुबह कभी इस घर में भी हुआ करती थी उजालों भरी सुबह
करुण क्रंदन हर घर रे तेरा इंसान कहाँ घर रे तेरा I करुण क्रंदन हर घर रे तेरा इंसान कहाँ घर रे तेरा I