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IAM RAAJ

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काहे आये झूठे ऋतुराज बसंत!

काहे आये झूठे ऋतुराज बसंत!

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काहे आये झूठे ऋतुराज बसंत?

बन संकेतक ऋतु परिवर्तन!!

प्रकृति तो पाये पूर्ण यौवन

मन मेरा काहे निर्जन उपवन??

काहे आये झूठे ऋतुराज बसंत?


पड़े दृष्टि जितनी बार साथ लगाये

लदी

पड़ी, वो आम्र वृक्ष की अम्बिया पर!

संयोग याद आयें तेरा हाय निर्मोही 

मादक मौसम चलाये तीर जिया पर!!


मन्मथ भी संग आये रति संग!

मन मेरा काहे निर्जन उपवन?

काहे आये झूठे ऋतुराज बसंत??


पीली सरसों है चहुँ ओर बिखरी पड़ी

गुलाबी ठंड ओढ़े धरा-वक्ष पर!

उस पर नीला अंबर ये पवन की

बयार, सम्मोहक पुष्प लक्ष्य कर!!


मुझे ही मारे, व्यर्थ भ्रमरों का गुंजन!

मन मेरा काहे निर्जन उपवन?

काहे आये झूठे ऋतुराज बसंत??



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