जिम्मेदारी
जिम्मेदारी
मैं तो वही मासूमियत का आबशार चाहती थी...
वो तो ज़िंदगी थी जिसने समझदार बना दिया !!
मेरे लिए तो वही बचपन महजबीं था....
वो तो वक़्त था जिसने इतनी दूर बुला लिया !!
मुझे तो बेफ़िक्री में जीना ही पसंद था....
वो तो जिम्मेदारियों ने अपने होने का एहसास करा दिया !!
मुझे तो बेबाक आसमान में उड़ते जाना था....
वो तो संघर्षों ने वापस जमीं पर ला दिया !!
मुझे तो मीठे सपनों के दरिया में बहते जाना था....
वो तो हक़ीकत थी जिसने आईना दिखा दिया !!
मुझे तो तबस्सुम बिखेरने की तमन्ना थी....
वो तो बेबसी थी जिसने मुझे हरा दिया !!
मुझे तो अपने अपनों के साथ रहना था....
वो तो जिम्मेदारी थी जिसने इतनी दूर ला दिया !!
मुझे तो ख्वाहिशों की नदियों में डुबकी लगाना था....
वो तो जरूरतें थी जिसने हाथ बढ़ा दिया !!
मुझे तो कागज़ की नाव पर सवार होना था....
वो तो ज़िंदगी थी जिसने मुश्किलों पर बिठा दिया !!
मुझे तो मुश्किलों का मफ़हूम भी नहीं इत्तला था....
पर ये ज़िंदगी ही है जिसने मुश्किलों से लड़ना सीखा दिया !!
