Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Gyanu Poetry Official

Others Children

4.7  

Gyanu Poetry Official

Others Children

झोले तले बचपन

झोले तले बचपन

1 min
352


माँ के प्यार से नहीं,

अब डाँट से उठता है,

पराठे से नहीं, कॉम्प्लान से वो

पेट भरता है,

खुद से ज्यादा वजन की

किताबें लेकर,

दौड़ भाग करके वो 

फिर बस में चढ़ता है,

इस बस्ते के बोझ तले 

बचपन घुटता है।


पाठ्यक्रम पढ़ाने को 

टीचर मजबूर है,

क्रिएटिविटी से वो तो

मीलों दूर है,

किताबें ढोने से जब

बदन थक जाए ,

खेल कूद फिर उसको

रास कैसे आए,

छुट्टी के बाद भी

वो चुपचाप ही रहता है,

शायद वो शाम की

ट्यूशन से भी डरता है।

इस बस्ते के बोझ तले

बचपन घुटता है।


दोस्तों के घर ज्यादा देर 

मना है रुकना,

वापस आकर तुमको

होमवर्क भी है करना,

तुम डॉक्टर बनोगे 

ऐसा पापा बोलते है,

आई ए एस बनो तुम,

ऐसा मम्मी का है सपना,

ये उम्मीदों का काँटा

दिन रात चुभता है

इस बस्ते के बोझ तले

बचपन घुटता है।


खुशकिस्मत हूँ मैं कि

बचपन मेरा ऐसा न रहा,

मैंने जिद की, मैं हँसा-रोया,

डाँट डंडे भी सहा,

खेलता था, लड़ता था

पढ़ने को कुछ किताबें थी,

दादी की कहानियां थी,

दोस्तों की फिजूल बातें थी

पिताजी का खौफ था,

मम्मी पर रौब था,

सपने मेरे खुद के थे

खुद का मेरा शौक था,

अब ऐसा देखने को 

कहाँ मिलता है,

अब तो बस्ते के बोझ तले

बचपन घुटता है।


खुद के बचपने से इनको

जोड़कर देखो,

बचपने की परिभाषा 

पढ़कर देखो।

बच्चों की दुनिया हमने बना दी

कितनी रंगीन,

घड़ी से जोड़कर उन्हें

बना दिया मशीन,

एक सवाल इस शिक्षा व्यवस्था

को भी जाता है,

पर उससे पूछने को 

फुरसत कौन पाता है,

वो हमारा ही लाडला है

जिसे ये सिस्टम नोचता है,

इस बस्ते के बोझ तले

बचपन घुटता है।


Rate this content
Log in