जादुई चिराग
जादुई चिराग
एक था नटखट बालक सोहन
सीधा-सादा, ईमानदार, सच्चा
पढा़ई में भी अच्छा
एक दिन उसे खेलते समय मिला
जादुई चिराग.....
जो बहुत था गंदा,
उसने सोचा घिसकर साफ करता हूँ
जैसे ही उसने चिराग को रगडा़
उसमें से निकलने लगा धुआँ
और हुआ तेज प्रकाश
उसी प्रकाश के बीच प्रकट हुई
एक सुंदर सी परी
उसने कहा-बताओ तुम्हारी क्या इच्छा है?
सोहन बोला- तुम क्या-क्या कर सकती हो?
परी ने कहा- जो तुम चाहो।
सोहन बोला- मैं अपना काम स्वयं करता हूँ।
सोहन की बात पर
खुश हुई परी और बोली
तुम्हारे कर्म-पथ पर कभी भी
नहीं आएगी कोई बाधा
ये मेरा वरदान है
और...यह कहकर
परी गायब हो गई
सोहन आश्चर्यचकित हो
घर की तरफ हुआ रवाना।
