STORYMIRROR

Devkaran Gandas

Others

3  

Devkaran Gandas

Others

हम धर्म , जाती पर अड़े रहे

हम धर्म , जाती पर अड़े रहे

1 min
203

हम धर्म , जाती पर अड़े रहे ,

इंसान को ना पहचान सके ,

जो वर्षों से साथ रहा अपने , 

उसको ना अपना मान सके ।


सुन "देव", कहे तुझसे ये तेरा मन

उस संग तू प्रीत कभी ना लगा ,

जो खुद के भीतर के मानव के ,

इंसानी रंग ना पहचान सके।


हम धर्म , जाती पर अड़े रहे....


है कौन बुरा और कौन भला ,

अब कौन करे इसका फैसला ,

जब खुद के भीतर के दानव को ,

हम खुद ही ना पहचान सके ।


हम पढ़े लिखे हैं,ये कहते हैं ,

फिर भी धर्म के दंगे सहते हैं ,

ये खेल सत्ता के दलालों का 

अब तक हम ये ना जान सके।


हम धर्म जाति पर अड़े रहे .....


वो कहते हैं , हम सुनते हैं ,

वो बांटते हैं हमें , फिर भी चुनते हैं,

वो झूठ बोले हम सहते हैं 

चोरों को नेता कहते हैं ।


अब जाग उठो , मत देर करो ,

जो हमे लड़ाए , ना उसकी खैर करो ,

वो राजनीति के प्यासे हैं ,

हम उनको ना पहचान सके।


हम धर्म जाति पर अड़े रहे .....


Rate this content
Log in