हम भी आसमान छू लेंगी
हम भी आसमान छू लेंगी
1 min
472
भौंहों पर पड़े बल
बतलाते हैं कि
आँखों पे चढ़ा चश्मा भी
अब काम नहीं करता है।
कमर झुक कर घुटनों से
मिल गयी है
उसके आंगन की चिड़िया
उसके इर्द गिर्द फुदकती हैं
उनकी चहचहाहट से
उसके चेहरे का बीता
दर्प लौट आता है।
बादलों के बीच से
उतरती परियों की कहानियाँ सुनकर
उसकी नातिनें बोल उठती हैं
हम स्वर्ग लोक से नहीं आयीं हैं
चढ़ती धूप सी, महमहाती हवाओं सी
रंग-बिरंगे परिंदों सी
हम भी आसमान छू लेंगी।