हिन्दू नव वर्ष
हिन्दू नव वर्ष
ना अंग्रेज हमको स्वीकार थे
ना अंग्रेजों का ये नया साल।
हम माँ भारती की संतानें
करते है इसका बहिष्कार ।
चैत्र मास की शुक्ल पक्ष
प्रतिपदा को ही हम मनाएंगे
अपना नया साल।
रातों के अंधियारों में हम
मशालें जला कर निकलते है।
ना की नया साल मना ने
निकलते है।
जहां हमारे किसान खेतों में
ठिठुरते वो नया साल
हम कैसे स्वीकार करते है।
ना फसलों का आवागमन
ना गलियों में रौनक
वो त्योहार हम स्वीकार नहीं
करते,
ये नया साल हम स्वीकार
नहीं करते।
ठिठुरता जहां इंसान
सूरज के दर्शन नहीं वो
नया साल हमको स्वीकार
नहीं।
गुजरे हुए साल कि रात में ,
नशे में झूम कर करते
नए साल का स्वागत
वो नया साल हमको
स्वीकार नहीं।
