STORYMIRROR

Phool Singh

Others

4  

Phool Singh

Others

हे शनिदेव

हे शनिदेव

1 min
163

हे नीललोहित, न्याय के दाता, कृपा करो जय शनिदेव

बुद्धि-शुद्धि कुछ नहीं जानूँ, अपनी, शरण में ले लो हे शनिदेव।।


शिव, राम, कृष्ण की परीक्षा लेते, भूल-चूक के कराये भेद

त्रुटि अपनी ज्ञान हुई तो, वरदान देते वो तुमको देव।।


पांडवो पर जो दृष्टि डाली, दाँव, द्रोपदी पर गए वो खेल

वस्तु नहीं वो सुंदर नारी, जिसका, सतीत्व जग में है बेमेल।।


दंड स्वरूप सही मार्ग दिखाया, तानों, उलहानों ने लिया उन्हे घेर

श्री कृष्ण से प्रशंसा पाई, चहते बने तुम उनके देव।।


कौरवों की जो मति थी मारी, श्री कृष्ण को न माने वो कोई देव

प्रभाव दिखाया आपने प्रभु, विनाश, कगार पर उन्हे दिया भेज।।


हरिश्चंद्र का सत्य परखा, राजा विक्रमजीत के संग खेला खेल

सफल हुए जब परीक्षा में, वापस लौटाया उनका देश।।


साढ़े साती की क्रूरता भारी, क्रोध को त्यागो, हे शनिदेव

हरण करों सब कष्ट-कलेश का, पड़े, शरण में हम शनिदेव।।


हे रवि नन्दन, भक्त हितकारी, रौद्रता त्यागो, धरो रूप सौम्य, हे शनिदेव

तुझ सा जग में दानी कोई न, विघ्न हरो सब, हे शनिदेव।।


लोह धातु की जो मूर्ति बनावे, तेल-तिल की रोज देवें भेंट

कष्ट-कलेश को सारे हरते, जय रविननंदन, जय शनिदेव।।


Rate this content
Log in