गुरु
गुरु
1 min
334
गुरु को सादर नमन
पहली गुरु मां को
सादर नमन
जिसने जन्म दिया
साथ मे संस्कार दिए
पग-पग पर ज्ञान दिया
हर अंधेरे को रोशन किया
एक पन्ने को चार किया
मनपसंद रंग भरा
जीवन को रंगीन करा
एक कटोरी हलवे को भी
चार भाग मे किया
खुद के साथ
सबका मुंह मीठा किया
जब-जब गिरा उठा लिया
हिम्मत और हौसले का दिया जला...
हर जीत पर खुश पहले हुआ
रोके न रुका
हर पल चला
निरंतर चलता रहा
मां के प्यार और आशीर्वाद से
जीवन का हर नया
दिन जिया
रात अंधेरी
पर गुरू के साथ से
उस रात को रौशन किया
सभी गुरुओं के साथ
उन सबको नमन
जिन्होंने
अंधेरे से रोशनी
की ओर किया।
