एक उम्मीद।
एक उम्मीद।
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ना चाह कर मैं हूं परेशान्, क्या करूं?
करना सब कुछ चाहूं, पर कर ना सकूं।
हूं परेशान इतना कि न अब कह सकूं।
करना सब कुछ चाहूं, पर कर ना सकूं।
ना समझ आए कि आखिर मैं ही क्यूं?
क्या किया मैंने, कि कुछ ना कर सकूं?
देखते अब आस से घरवाले सब,
क्या कहूं उनको, कि मैं अब क्या करूं?
ना दिलासा दे अब कोई मुझे,
अब तो बस ये है कि मैं कुछ कर सकूं।
भगवान ना टूटे उम्मीद उनकी,
सबकुछ दिया है जिन्होंने मुझको अभी तक।
ना समझ आये की आखिर मैं ही क्यूं?
अब तो बस ये है कि मैं कुछ कर सकूं।
