एक डोर
एक डोर
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किस्से तुम्हारे हमारे जहां को सुनाने है
अल्फ़ाज़ नये है पर अहसास पुराने है
वो खूबसूरत दिन और महकती सी रातें
उनकी आंखों में फिर वही सपने सजाने है
कुछ तो था जो एक डोर से बंधा था
टूटे हुए वो सिरे फिर से मिलाने है
फ़ुरसत ही अब मिलती नहीं हमको
दूर हमसे जाने के ये बहाने है
याद करते हैं उन सभी बिछड़ों को हम मीनू
जिनको गुज़रे हुए कई ज़माने है।
