दिल की बातें
दिल की बातें
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उस चाँद से क्या शिकायत करूँ मैं,
जो रोज पनाह देता है मुझे उसकी गोद में,
जी भर के बातें कर लेती हूँ उससे अब,
जबसे तुम रूठे हो मुझसे,
दूर जरूर है चाँद मुझसे लेकिन,
तुमसे तो बहुत करीब है अब,
उसके साथ अपने गम बाँट लेती हूँ,
जैसे प्यार बांटती थी तुम्हारे साथ,
दिल को थोड़ा सुकून सा महसूस होता है,
कोई दूर ही सही साथ तो है मेरे !