दिल चाहता है.....
दिल चाहता है.....
1 min
317
दिल चाहता है भूल मैं जाऊँ
दुख दर्दों से पार मैं पाऊँ
किताबों की रंग बिरंगी दुनिया में
सारे गम अपने भूल मैं जाऊँ.
दूर गगन की छांव में
तारों के उस गाँव में
जाकर बसना चाहती हूँ
दुनिया नई बनाती हूँ.
किताब के उन पन्नों में
नई रंगीली दुनिया में
चहकते उन किरदारों में
अपने आप को ढूंढ रही हूँ
उनमें ही सुख खोज रही हूँ!
पुस्तक में मिलतीं हैं खुशियाँ
सपनों में खो जाते हैं
नए जीवन की तलाश में
जाने क्या कया पढ़ जातें हैं!
आप भी आओ इस दुनिया में
कभी अकेला ना पाओगे
लोगों के इस मेले में
खुद को जीवंत पाओगे!
