दीवानगी
दीवानगी
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भुलाने की कोशिश में
हर पल तुम्हें ही याद करते हैं
साथ गुजारें उन लम्हों को
फिर एक बार जीते हैं
नजरों से की बातों में
छुअन के उस एहसास में
खोकर इन दूरियों में भी
तुम्हें अपने करीब पाते हैं
दिल के दर्द को बहलाकर
चहरे की मुस्कान बनाए रखते हैं
अकेले में वहीं दर्द फिर
हम पे हँसता हुआ देखते हैं
बहते आँसुओं को फुसलाकर
वास्ता-ए-इंतज़ार दे देकर
ये साँसें ये धड़कन ये मोहब्बत
तेरे ही साथ की दुआ मांगते हैं।