धर्म की डोर
धर्म की डोर
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अंतःकरण में तू लगा ले ध्यान
बंदे हो जाए जीवन का ज्ञान,
बिन आई मारा जा अंधकार में
हरी भजे मिले चौला विद्वान,
अंतःकरण से जन्में पुत्र चार हैं
लोभ,मोह,माया का जंजाल है,
मन, चित्, बुद्धि का विचार है
सब से परे रचे हरी मोक्षकार है,
चोथा पुत्र अहंकार अंतःकरण में
वास करें अंधकार संग अधर्म में,
ज्ञानरुपी बुद्धि को तज नरक में
यज्ञ,हवन त्याग विलीन हो पंच में,
आन जान लगा रहे अमोक्ष परे
लाख चौरासी योनी अमोक्ष परे,
सत् रज तम् गुण से अमोक्ष परे
शुभ कर्म,धर्म,ज्ञान में अमोक्ष परे।
