धर्म की डोर
धर्म की डोर
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हें मां भवानी जग कल्याण कर
रच शक्ति को भक्ति उज्वल कर
ये शिवा जिएं अपनी जिंदगी मां
इतनी कृपा कर मुझे बलवान कर
इक जीजाबाई इक मां तू ही सहारा
बनूं ऐसा सपूत मां कलयुग का तारा
हर पाषाण पर मिले प्रमाण मां तेरा
करूँ आगाज़ पूज कर मां दरबार तेरा
रण में भौर हो या हो सायं पर निडर रहूं
दुस्मन एक रहे या अनेक पर बराबर रहूं
रुप अनेक हो या आवाज पर हाजीर रहूं
मां कृपा रहें बस देखे जग विजय फिर रहूं।
