चलो पता लगाएँ
चलो पता लगाएँ
चलो २१ दिनों में पता लगाएँ
कौन हमारे अपने है
क्या हमारे सपने है
किन बातों का हमे खेद है
कितने बाल सफेद है
अरमानों पे कितना जंग है
कितने सपने बेरंग है
किसकी बातें दिल को भाती है
किसकी याद हर रोज आती है
कितने बादल आसमाँ में छाए है
कितने आँसू पलकों पे आए है
बिछड़ों से मिलने को जी क्यों करता है
दिल तोड़ता है उसी पे दिल क्यों मरता है
कितनी काटी है जिंदगी अब तक हमने
कितने जिए है लम्हे अब तक हमने
कितने लोगों से नाता गहरा है
कितने रिश्तों से मुँह फेरा है
कितने काम छूट गए है
कितने लोग रुठ गए है
कब किताबों पे धूल फैली थी
कब सांप सीढ़ी हमने खेली थी
कब माँ की कोख में सोये थे
कब दिल खोल कर रोए थे
कब पापा ने जमकर डांट लगाई थी
कब बहन बीच बचाव में आई थी
क्यों बेवजह मुस्कुराते रहते है
क्यो वजह हो कर रो नहीं पाते
लोग क्यों खुद से भाग रहे है
सपने रातों में क्यों जाग रहे है
क्यों शहरों में सन्नाटा है
क्या बिल्ली ने रास्ता काटा है
किस किसने निम्बू मिर्च लगाए है
क्या उनके घरों पे भी वायरस आए है
क्यो जिंदगी इतनी बेदर्द है
क्या इसका कोई मर्ज है
चलो २१ दिनों में पता लगाएँ
चलो २१ दिनों में पता लगाएँ....