चल पड़ूं
चल पड़ूं
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जो चल पड़ूं तो सवाल क्या
मेरे ज़ख्म पर मलाल क्या ,
हाथों को गर तुम थाम लो
फिर मोहब्बत पर सवाल क्या ,
तेरे जिस्म पर जो निशान है
उस प्यार पर अब बवाल क्या ,
रोने का डर भी नहीं है मुझे
मगर ये दुनिया में दर्दे ए हाल क्या ,
जीने की चाह भी तुझमें दिखे
मर भी जाऊं तो इसमें मलाल क्या ,
बोल दो गर परेशां हो मुझसे
कर दूं सर भी अपना हलाल क्या ,
उसने कहा इतनी मोहब्बत
मैने भी कह दिया सवाल क्या ।
