बुलावा निंदिया रानी को
बुलावा निंदिया रानी को
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घना अंधेरा छाया है
तारों ने आसमां सजाया है
नन्हीं मुन्नी सोने चली
परियो को बुलाया है
धीमे धीमे सुर में मीठा
गीत गुनगुनाया है
नन्हीं आंखों में सुन्दर सपना
लगता है सब उसको अपना
संगी साथी की टोली है
मन से कितनी भोली है
निंदिया रानी आई है
सात सुरों को लाई है
प्यारी सी इस नन्हीं
की आंखों में समाई है।
