बिन फेरे हम तेरे
बिन फेरे हम तेरे
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अग्नि को साक्षी मानकर
संकल्प लेना ,
सुख दुःख की परिभाषा समझना ,
गाड़ी के दो पहिए हों
जीवन के।
बिन फेरे हम तेरे
सिर्फ प्यार की पौध होते ,
पौधे से वृक्ष बनना
फल फूल से रिश्तों का बनना
रीतिरिवाजों की खातिरदारी
ये फेरे हम तेरे से ही संभव ।
बिन फेरे हम तेरे,
ख्वाबों की दुनिया की तरह
मौसम में बादलों की तरह होते ,
जो उड़ते रहते
जब तक उड़ाओ,
ठहराव जिंदगी का
साथ फेरों के संकल्प से
होता पूर्ण|
