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Sanjay Verma

Others

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Sanjay Verma

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बिन फेरे हम तेरे

बिन फेरे हम तेरे

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अग्नि को साक्षी मानकर 

संकल्प लेना ,

सुख दुःख की परिभाषा समझना ,

गाड़ी के दो पहिए हों 

जीवन के।


बिन फेरे हम तेरे 

सिर्फ प्यार की पौध होते ,

पौधे से वृक्ष बनना 

फल फूल से रिश्तों का बनना 

रीतिरिवाजों की खातिरदारी 

ये फेरे हम तेरे से ही संभव ।


बिन फेरे हम तेरे,

ख्वाबों की दुनिया की तरह 

मौसम में बादलों की तरह होते ,

जो उड़ते रहते 

जब तक उड़ाओ,

ठहराव जिंदगी का 

साथ फेरों के संकल्प से 

होता पूर्ण| 



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