बिखेर दूं सारे रंग
बिखेर दूं सारे रंग
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बिखेर दूं सारे रंग!!
बनाऊँ रंगोली कुछ ऐसी.....
जैसे बिखरे फूल पलाश के
उस पर बैठी हँस रही सुनहले पंखों वाली तितलियां !!
जैसे नील गगन में फैले रुप के पहाड़
जी तो चाहता है खुद ही बन जाऊं
रंग सारे लाल, हरा, नीला ,पीला, नारंगी,
और छा जाऊं आसमान में ऐसे
जैसे वर्षा ऋतु में छाया हो कोई इन्द्रधनुष......