नारायणी .... मेरी अपनी कमाई हुई पहचान
तुम हर बार अपने बरगद प्रेम पर एक नयी ही कथा शुरु कर देती हो। तुम हर बार अपने बरगद प्रेम पर एक नयी ही कथा शुरु कर देती हो।
जितना आकाश की ओर बढ़ता है साथ ही उतनी ही धरा को भी घेर लेता है जितना आकाश की ओर बढ़ता है साथ ही उतनी ही धरा को भी घेर लेता है