STORYMIRROR

भावनाएं

भावनाएं

1 min
265


मेरी मासूम भावनाएं तो तुम 

पल में समझ जाया करती थी

हर बात को प्यार से समझाया करती थी

आज अचानक मेरे बड़े होने से

ऐसा क्या अनर्थ हुआ?

आँसू का समंदर उमड़ पड़ा

शब्द और शक्ति दोनों बेबस हो गई

तुम्हारी भावनाएं मेरे प्रति बदल गई

यह शब्द गूंजने लगे मेरे कानों में

तुम तो माँ कुछ और ही

समझाने लग गई मुझे बातों बातों में

बेटी जोर से मत हँस

धीरे धीरे बोल 

हँसना जब तू अपने घर जाएगी

बोलना उससे जिसके संग बयाहेगी

मैं समझ गई 

कुछ कहा नहीं तुमसे

क्योंकि मैं जानती हूँ

मेरे शब्द कर्कश लगेंगे

और तुम्हारी भावनाओं को ठेस पहुंचाएंगे

कुछ सपने संजोकर मैं भी चली गई

सोचा ना समझा

तुम्हारी बातें बस याद कर गई

भावनाओं का समंदर उमड़ने लगा

सपनों का नया घरौंदा बसने लगा

सोचा अब खिल खिलाऊंगी

जो गीत लबों तक आ कर रुक जाते थे

उनको फिर से गुनगुनाउंगी

पर यह क्या?

यहां भी वही शब्द गूंजते हैं

और मुझसे कहते हैं

तू तो पराई है

अपने घर से क्या लाई है

माँ यह प्रश्न बार-बार उठता है

और मेरे मन को कसोटता है

मेरा घर कहां ?


Rate this content
Log in