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Salil Saroj

Children Stories

3  

Salil Saroj

Children Stories

बचपन

बचपन

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कभी मिलना 

उन गलियों में

जहाँ छुप्पन-छुपाई में

हमनें रात जगाई थी।


जहाँ गुड्डे-गुड़ियों की शादी में

दोस्तों की बारात बुलाई थी

जहाँ स्कूल खत्म होते ही

अपनी हँसी-ठिठोली की

अनगिनत महफिलें सजाई थी।


जहाँ पिकनिक मनाने के लिए

अपने ही घर से न जाने

कितनी ही चीज़ें चुराई थी

जहाँ हर खुशी हर ग़म में

दोस्तों से गले मिलने के लिए

धर्म और जात की दीवारें गिराई थी।


कई दफे यूँ ही उदास हुए तो

दोस्तों ने वक़्त बे वक़्त 

जुगनू पकड़ के जश्न मनाई थी

जब गया कोई दोस्त 

वो गली छोड़ के तो याद में

आँखों को महीनों रुलाई थी।


गली अब भी वही है

पर वो वक़्त नहीं, वो दोस्त नहीं

हरे घास थे जहाँ

वहाँ बस काई उग आई थी।


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