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Manishaben Jadav

Children Stories

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Manishaben Jadav

Children Stories

बचपन के भी क्या दिन थे?

बचपन के भी क्या दिन थे?

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बचपन के भी क्या दिन थे।

सबसे हंसीन वे पल थे।


न किसी से परेशानी थी।

  सबसे हिलमिल रहते थे।

गली मोहल्ले मे घूमते थे

   सबसे बाते करते थे।


हर किसी से दोस्ती थी।

   अपना सा सब लगते थे।

प्यार सबसे करते थे।

  सबसे मुस्कुराहट पाते थे।


थक हार के जब घर आते

  मम्मी की गोद मे बैठ जाते थे।

खाने का जब मन हो जाए

   घरको सर पे उठाते थे।


जब कोई चीज हमे लेना हो

   बिन आंसु हम रो देते थे।

जब पिताजी से डांट पड जाती।

   मम्मी से शिकायत करते थे।


दोस्तों के साथ दिनभर हम

   इधर उधर घुमा करते थे।

नए कपडे पहनने के लिए

  त्योहार का इंतजार करते थे।


न किसी से डरते थे।

   न किसी से शिकायत थी।

निर्दोष हंसी नित चहेरे पे

  सबसे मिलने की जरुरत।


न कोई अमीर न कोई गरीब

  सबसे समानता रखते थे।

पैसा कमाने की दौड़ की

  न हमे परेशानी थी।


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