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Gaurav kumar

Others

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Gaurav kumar

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बाप के लिए एक बेटे के जज्बात 1

बाप के लिए एक बेटे के जज्बात 1

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नन्ही सी आँखें और मुड़ी हुई उँगलियाँ थी,

ये बात तक की है जब दुनिया मेरे लिए

सोई हुई थी,

नंगे से शरीर पर नया कपड़ा पहनाता था,

ईद-विद की समझ ना थी पर फिर भी मेरे

साथ मनाता था,


घर में खाने की कमी थी पर एफ डी में पैसा

जुड़ रहा था,

उसके खुद के सपने अधूरे थे,

और मेरे लिए सपने बुन रहा था,


ये बात तब की है जब दुनिया मेरे लिए

सोई हुई थी,

वक्त कटा साल बना,

पर तब भी सबसे अनजान था,

पर मैं फिर भी उसकी जान था,

बिस्तर को गिला करना हो या फिर रोना,

एक बाप ही था जिससे छिना था मैंने

उसका सोना। 



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