बादल राजा
बादल राजा
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(बादल और एक लडकी की बातचीत के माध्यम से प्रकृति व मानव का संवाद)
कहां चले ओ बादल राजा
मेरे घर भी आओ ना
सूख रही ऑगन की तुलसी
उन पर बौछार गिराओ ना
यदि रूठे हो मुझसे भईया
तो इसकी वजह बताओ ना
मै नन्ही प्यारी सी गुडिया
मुझको यूं सताओ ना
मैने सोचा था बिटिया रानी
घर तेरे भी मै आऊंगा
बाबा ने जो बाग लगाया था
मै उसकी प्यास बुझाऊंगा
उसमे परम मित्र था नीम मेरा
जिसको काट गिराया था
बङे दुखी मन से बिटिया
मै लौट वहां से आया था
क्षमा करो बादल राजा
मै फिर से नीम लगाउंगी
अपने बाबा की बगिया को
मै हरा-भरा बनाउंगी ।